चलते चलते हार गया मैं बाँह पकड़ ले रे,
बाँह पकड़ ले रे श्याम मेरी बाँह पकड़ ले रे,
जीवन की इस कठिन राह में कोई नहीं है मेरा,
जब जब आन पड़ा है कोई अपनों ने मुँह फेरा,
एक सहारा तेरा बाबा कठिन डगर में,
बाँह पकड़ ले रे श्याम मेरी बाँह पकड़ ले रे,
तू रूठा तो दुनिया रूठी हर कोई आंख दिखावे,
समज गया अब तेरे सिवा मेरे कोई काम ना आवे,
हर कोई मारे ताना मुझको ,
होनी अकड़ में रे,
बाँह पकड़ ले रे श्याम मेरी बाँह पकड़ ले रे,
मैं अज्ञानी समज ना पाया क्यों तू मुझसे रूठा,
जीवन की इस चका चोख में साथ तेरा कब छूटा,
इस दुखियाँ की इक बार दाता और खबर ले,
बाँह पकड़ ले रे श्याम मेरी बाँह पकड़ ले रे,
भूल शमा कर इस सेवक की अपने गले लगा ले,
तेरे सिवा कोई और नहीं आके हमे सम्बाले,
रोमी को अपनी बाहो में आज जकड ले,
बाँह पकड़ ले रे श्याम मेरी बाँह पकड़ ले रे,