नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई

नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई l
किस्मत मेरी चमक गयी और बाते मेरी गुलज़ार हुई ll
नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई .......

जबसे लगन लगी श्याम नाम की तब से हुआ में दीवाना
जग की चमक अब मुझको न भये में चाहू दर तेरे आना
तेरे दीवाने तुझको बुलाये आने में फिर क्यों देर हुई
नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई .........

आँखों में कजरा और लटो में कलि घटा का बसेरा
सांवली सूरत मोहनी मूरत सावन रुत का सवेरा
जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है दुनिया मेरी गुलजार हुई
नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई ........

यू तो ज़माने में मोह और माया के होते है रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के देखा है जब तुम्हे तुम लगे और भी प्यारे
मोहित को तार दो ऐसी तम्मना एक नही कई बार हुई ll

नज़रे श्याम से है जबसे मिलायी कश्ती भंवर से पार हुई ..........
जय श्री श्याम ...................
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