दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे ।
पनिया भरन गई मैं जमुना नदी किनारे ॥
सर पर मुकुट जड़ा था,
कानो कुंडल पड़ा था,
पनघट निकट खड़ा था,
कर प्रेम के इशारे ।
दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे ॥
गल विच फूल माला,
लोचन परम रसाला,
कटी मेखला विशाला,
तन पीत वसन धारी ।
दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे ॥
बंसी अधर लगाई,
मधुरी धुनी सुनाई,
तन की खबर भुलाई,
घर काज सब विसारे ।
दिल ले लिया है मेरा वो नंद के दुलारे ॥
स्वर :- परम पूज्या संत करुणामयी गुरु माँ