सखी री बांके बिहारी से

सखी री बांके बिहारी से,हमारी लड़ गयी अंखियाँ
बचायी थी बहुत लेकिन,निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ
सखी री...

ना जाने क्या किया जादू,यह तकती रह गयी अखियाँ
चमकती हाय बरछी सी,कलेजे गड़ गयी आखियाँ
सखी री बांके बिहारी से,हमारी लड़ गयी अंखियाँ
बचायी थी बहुत लेकिन,निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ
सखी री...

चहूं दिश रस भरी चितवन,मेरी आखों में लाते हो
कहो कैसे कहाँ जाऊं,यह पीछे पड़ गयी अखियाँ
सखी री बांके बिहारी से,हमारी लड़ गयी अंखियाँ
बचायी थी बहुत लेकिन,निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ
सखी री...

भले ये तन से निकले प्राण,मगर यह छविं ना
निकलेगी
अँधेरें मन के मंदिर में,मणि सी गड़ गयी अखियाँ
सखी री बांके बिहारी से, हमारी लड़ गयी अंखियाँ
बचायी थी बहुत लेकिन, निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ
सखी री...

रसिक पागल मामा

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