ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादूगरी ने

मोहन के लबों पे देखो क्या खुशनुमा है बंशी,
बंशी पे लब फिदा हैं लब पे फिदा है बंशी ।
जिन्दे को मुर्दा करती मुर्दे को जिंदा करती,
ये खुद खुदा नहीं हैं पर शाने खुदा है बंशी ॥

ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादूगरी ने,
किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने ।
बांस के एक टुकड़े में ऐसा क्या देखा बनवारी ने,
किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने ॥

कभी हाथ में कभी कमर पर कभी अधर पर सजती है,
मोहन की सांसो की थिरकन से ये पल में बजती है ।
काहे इतना मान दिया मुरली को कृष्ण मुरारी ने
किस कारण.....

एक पल मुरली दूर नहीं क्यों सांवरिया के हाथों से,
रास नहीं रचता इसके बिन क्यूँ पूनम की रातों में ।
काहे को सौतन कह डाला इसको राधे प्यारी ने...
किस कारण.....

अपने कुल से अलग हुई और अंग अंग कटवाया है,
गर्म सलाखों से फिर इसने रोम रोम छिदवाया है ।
तब जाकर ये मान दिया मुरली को गिरवर धारी ने...
इस कारण ....
श्रेणी
download bhajan lyrics (1472 downloads)