सावन आइयो रे चलिए शिव के दवारे,
कवर कंधे धर के ओ गंगा जल भर के,
अरे बोल के सब जैकारे,
सावन आइयो रे चलिए शिव के दवारे,
सावन में भोले जी को कावर जो चढ़ाते है,
एक लोटा गंगा जल से भोले खुश हो जाते है,
दया उस पर करते ओ भोले भण्डार भरते,
कई बिगड़े भाग सवारे,
सावन आइयो रे चलिए शिव के दवारे,
शिव जी है भोले भाले वर देते मनमानी,
तीनो लोको में ऐसा कोई ना है दानी,
पार भाव से करते पल में दुखड़े हर ते,
कई डुब्दै पार उतारे,
सावन आइयो रे चलिए शिव के दवारे,
शिव लिंग पे बेल पतरी,
फूल फल चढ़ा देना,
थोड़ा सा चन्दन गिसके शिव लो लगा देना,
काम तेरा हो जायेगा,
जो मांगे मिल जायेगा,
तेरे हो जाये उचे वारे न्यारे,
सावन आइयो रे चलिए शिव के दवारे,