क्षमा करना ए सांवरिया तेरे मंदिर ना आ पाया,
बता दू क्या थी मज़बूरी जो तेरे दर न आ पाया,
सजा कर पूजा की थाली भर के लोटा चला जल से,
लड़खड़ाती आवाज सी एक आवाज आई थी मेरे घर पे,
पुकारा था मेरी माँ ने तेरा पूजन ना कर पाया,
क्षमा करना ए सांवरिया
तेरा मंदिर है दुरी पर ये आयी बात ये मन में,
गया घर पर बेठ्या मैंने अपनी माँ को आंगन में,
थी माँ प्यासी मैं उस जल को अपनी माँ को पीला आया,
क्षमा करना ए सांवरिया
सँवारे तू अगर रूठा माँ का अंचल छुपा लेगा,
दुखा दू आज माँ दिल तू भी दर से भगा देगा,
उठा कर फूल माँ के चरणों में धर आया,
क्षमा करना ए सांवरिया...
पिलाया दूध होठो पर हसी जिसने सजाई थी,
है उसकी कोख का कर्जा जो माँ दुनिया ने लाइ थी,
मेरी मैया के चरणों में प्रभि बैकुंठ की माया,
क्षमा करना ए सांवरिया.....