जाओ कहा मैं मोहनभर दो दया से द्वार पे तेरे फैलाया है दमन

मैं तेरे दर का याचक हु,
जाओ कहा मैं मोहन,
भर दो दया से दवार पे तेरे फैलाया है दामन,
जाऊ कहा मैं मोहन,

मैं इस जग से क्या सुख मांगू जग तो विष की धार है,
मगर श्याम तुम सुख सागर हो बस यु हाथ पसरा है,
एक बून्द बस हाथ पे रख दो खिल जाये सुना मन,
जाऊ कहा मैं मोहन....

हार दिया दिल आपको जिसने वो जग से कब हारा,
आप ने उसका मान बड़ा कर जीवन और निखारा है,
इतनी करुणा बरसाई है  टूट गए दुःख बंधन,
जाऊ कहा मैं मोहन.......

तुमने सबको सुख बांटा है दुखियो का दुःख धोया है,
लाज रखी है तुमने उसकी जो तेरे दर पे रोया है,
मेरी भी सुध लो सांवरियां अँखियो में है सावन,
जाऊ कहा मैं मोहन......

किसको मीत बनाऊ अपना मतलब का जग सारा है,
दीन दुखी बेकस का जग में तू ही एक सहारा है,
घजे सिंह है शरण में तेरी मत रखना मधुसुधन,
जाऊ कहा मैं मोहन,...
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