हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे

हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,
मिट जायेगे सब दुःख तेरे,
हरी ॐ हरी ॐ

वो भोला भंडारी है भगतो का प्रति पाला,
निर्धन के मन वास करे श्रिस्ति रचाने वाला,
क्यों भुला है कॉल को तेरे,
हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,

जो इन पे विश्वाश करे पूरी करे वो आशा,
कभी न उसको निराश करे कभी न राखत पयासा,
भंडार भरे वो तेरे,
हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,

बहुत बड़ा वो दानी है पारवती का प्यारा,
निर्धन को है धनि करे जो सब कुछ है वारा,
माला फेरो नित शाम सवेरे,
हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,

एक बार जो ॐ कहे पापो से छूट जाये,
उसके सिर पे हाथ धरे भक्ति मुक्ति पाए,
काटे जन्म जन्म के फेरे,
हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,

सच्चे मन से ध्यान धरे वो है शिव को प्यारा,
झूठ कपट का त्याग करो,
आ जाए डमरू वाला,
रहे कदम कदम संग तेरे,
हरी ॐ की तू माला क्यों न फेरे,
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