चल रे कांवरिया भर के गगरिया,॥
मुढ़ी हर कदम तेरा बोल के बम बम,
चल भोले के दर पे...
कट जाएगा ये रस्ता कठिन तेरा, बम बम को जपता चलेगा,
कैलाशी संकर मिटा कांटे कंकर, डगर साप करेगा ,
तू हर हर बम बम जपते ही जाना,
चल सम्भु के दर पे...
रिमझिम बरसता जो सावन महीना है. भक्तो के मन को लुभाये,
दीवाने भोले के निकले लगन कर के. कांधे पे कवर उठायें,
झोली अपनी मुरादे से भर लावो,
चल बाबा के दर पे...
प्रेम और भक्ति से शिव लिंग पे भईया. गंगा जल है चढाये,
जीवन सफल हो जाता सरल उनका . काल का भयना डराये,
लख्खा देव महादेव को तू मन मे बसाके
चल भोले के दर पे...