जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है

जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है,
आ गया तेरी शरण तू तो पालनहार है,
सेठ है तू संवारा तेरा ही ये दरबार है,
मैं भिखारी मांग न मेरा भी तो अधिकार है,
जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है,

कर सदा देता है तू तो माफ़ भी करता तू ही,
हारे का तुझको सहारा लोग न कहते यु ही,
कब तलक खता फिरू गा दर बदर की ठोकरे,
जीतना चहु मैं फिर भी फिर भी क्यों हार है,
जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है,

तू अगर चाहे तो कुछ मुश्किल नहीं तेरे लिए,
सोच कर तो देख रे तू ख़ास है मेरे लिए,
मैं गिरा हु वक़्त और हालत के आगोश में,
थाम ले बाहे मेरी तुझसे मेरी फर्याद है,
जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है,

मेरा तुझपे है भरोसा वो नहीं ये जानते ,
फूल है मासूम सा मेरी तरफ ही देखते,
कर स्का जितने बहाने कर लिए तकलीफ सब,
आरजू छोटी सी है छोटा मेरा परिवार है,
जो भी चाहे सुना दे फैसला स्वीकार है,
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