शिव शंकर भोला नाचे कैलाश के माहि,
डिम डिम डमरू गूंज रहा संसार में भाई,
शिव शंकर भोला नाचे कैलाश के माहि,
सावन का महीना आया शिव शंकर भांग चढ़ाया,
खा कर के आक धतूरा भोला मस्ती में आया,
छम छम गुंगरू बाजे रुत नाचन की आई,
शिव शंकर भोला नाचे कैलाश के माहि,
संदेसा भू पर आया भगतो का मन हरषाया,
शिव शंकर तप से जागे मिलने का अवसर आया,
गंगा जल लेकर दोड़ो रुत कावड़ की आई,
शिव शंकर भोला नाचे कैलाश के माहि,
कावड़ियाँ बढ़ता जावे बम बम की अलख जगावे,
शिव भगता की भगता ने सारी दुनिया शीश निभावे,
नंदू शिव भोले नाथ का दर्शन है सुख दाई,
शिव शंकर भोला नाचे कैलाश के माहि,