आज सुदामा किशन घर आये ॥
किशन घर आये , मोहन घर आये ॥
मिलने की आशा को मन धर लाये आज सुदामा........
बाल सखा के आने की जब,
पहुंची उन्हें खबरिया,
राज सिहांसन छोड़ के दौड़े,
बचपन के साँवरिया,
बालापन की यादें करके ॥
दोनों मित्र हरषाये ॥
आज सुदामा.........
चावल की छोटी सी पोटली,
भेंक जो लाये सुदामा,
प्रेम से चूमें उसे कन्हैया,
जैसे मिला खजाना,
ऐसे गदगद हुए मुरारी ॥
स्वयं सुदामा शरमाये ॥
आज सुदामा.........
स्वयं मित्र की आव भगत में,
जुट गये हैं बनवारी,
जिसने भी इस दृश्य को देखा,
देख हुऐ है बनवारी ,
ऐसा है ये वक़्त निराला ॥
कि महिमा कही ना जाये ॥
आज सुदामा.........
सिंगर भरत कुमार दवथरा