इतनी सी क्रपा मुझ पर करदो ,
अपने चरणों की दो मुझे गुलामी,
मेरे इस जीवन के आप सहारे है,
सारी दुनिया जूठी है प्रबु आप हमारे है,
तुम ही तो परिवार हमारे हारे के बाबा आप सहारे जाऊ बलहारी,
इतनी सी क्रपा मुझ पर करदो....
मेरी क्या औकात प्रबु बस इतनी अर्जी है,
अपना लो या ठुकरा दो यह आपकी मर्जी है,
जब जीवन से करू किनारा, हो नजरो मे यही नजरा सूरत तुम्हारी,
इतनी सी क्रपा मुझ पर करदो....
मेरे इस परिवार के पालनहार तुमि प्यारे ,
हाथ तेरा जिसके सिर पर वो कैसे हारे,
कभी ना भूलू नाम तुम्हारा, मोनू कहे जगत ये सारा शरण तुम्हारी,
इतनी सी क्रपा मुझ पर करदो,
खाटू नरेश अंतर यमी अपने चरणों की दो गुलामी,