भोले भंडारी दुल्हा अद्भत जग में न्यारे,नजर ना लग जाये,
भोले भंडारी दुल्हा अद्भुत जग में न्यारे,
नजर ना लग जाये ओये ओये ओये,
जटा मुकुट सर्प मौर शोभा पा रहा,
चंद्र ललाट कर त्रिशूल डमरू भा रहा,
सर्प जनेऊ कुंडल कंकण फुफकारे,
नजर ना लग जाये ओये ओये ओये,
सोहे बिभूति तन पे बाघम्बर छाला,
मोहे शीश गंग नरमुंड माला,
रूप श्रृंगार शिवगण मिल सब सवारें,
नजर ना लग जाये ओये ओये ओये,
भूत पिशाच भोले राजा के बराती,
बैल सवार देखि भागे घराती,
परछन फेंक मैना मारे हाहाकारे,
नजर ना लग जायेओये ओये ओये,
पूर्व कथा सब मुनि नारद सुनाये,
सुनि प्रसंग मैना हिमवान सुख पाये,
ऋषि देव हाथ जोरि करें जयकारे,
नजर ना लग जाये ओये ओये ओये,
भोले भंडारी दुल्हा अद्भुत जग में न्यारे,
नजर ना लग जाये ओये ओये। ओये,
आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी