समजो न कलाई का ही शृंगार है राखी,
ये भाई और बहन का पावन प्यार है राखी,
राखी का दिन जब आये परिवार निकट आ जाये,
जब बहने बांधे राखी मन फुला नहीं समाये,
ये अपनी संस्कर्ति का आधार है राखी ,
ये भाई और बहन का पावन प्यार है राखी,
ऐसा है रक्षा बंधन बंध जाये इसमें जन जन,
नो वर्ण जाती का अंतर ना भेद भाव का दर्शन,
ये उचे आर्दशो का तोहार है राखी,
ये भाई और बहन का पावन प्यार है राखी,
मानव से मानव जोड़े ना द्वेष इर्षा छोड़े,
मजहब की दीवारों को ये कोमल धागा तोड़े,
जो सब को प्यार में भाहंदे वो तार है राखी,
ये भाई और बहन का पावन प्यार है राखी,
बेटा हु इस धरती का रखुगा मान माटी का,
पहना दो बाँध के राखी रोली का करदे टीका,
फिर देख गजे सिंह रण में तलवार है राखी,
ये भाई और बहन का पावन प्यार है राखी,