श्याम की नगरिया खाटू उजागर जहां में,
लूट गयो हु तो तेरी मीठी मुस्कान में,
पलका को झालो देकर सवालिया साथ में,
कालजो ही कांड लियो काही कहु बात मैं,
फूंक फूंक पाँव मैह्लू प्रीत की दूकान में,
लूट गयो हु तेरी मीठी मुश्कान में....
कितनो दर्द एह कितनो खिचाव है,
जवाला में कूद जावे प्रीत को ही आव है,
बिना पंख उडतो डोलू प्रीत के विवान में,
लूट गयो हु तेरी मीठी मुश्कान में....
श्याम बहादुर शिव प्रीत को पताशो है,
संकडी है प्रेम ड्वेली फेर ही माशो है,
डूब गयो जीव तेरी मुरली की तान में,
लूट गयो हु तेरी मीठी मुश्कान में....