अर्जी मेरी कब पड़ोगे सँवारे तुम बता दो न,
प्यार तुम को भी है मुझसे तुम किसी दिन जता दो न,
अर्जी मेरी कब पड़ोगे सँवारे तुम बता दो न,
मेरी आँखों से बेहता है गंगा यमुना से भी जयदा पानी,
तुम भी न सुनोगे तो कौन सुने मेरी पीढ़ भी नहीं है किसे ने जानी,
पतवार तुम्हारे हाथ मेरी अब पार मुझे भी लगा दो ना,
अर्जी मेरी कब पड़ोगे सँवारे तुम बता दो न,
हारे के सहारे हो तुम तो मेरी हार से क्यों अनजान रहे बोलो,
क्यों गम सारी ही दुनिया के मेरे दिल में ही मेहमान रहे बोलो,
करदो रेहम मुझपे भी प्रभु हसना मुझे भी सीखा दो न,
अर्जी मेरी कब पड़ोगे सँवारे तुम बता दो न,