कन्हैया एक नज़र तुझको को देखता होगा,
मेरे सरकार को किसने सजाया सोचता होगा,
कन्हैया एक नज़र तुझको को देखता होगा,
ज़माने भर के फूलो से कन्हियाँ को लपेटा है,
कलि को घूंड कर कितने गजरो में समेटा है,
सजा शृंगार न पहले न कोई दूसरा होगा,
कन्हैया एक नज़र तुझको को देखता होगा,
सजा कर खुद वो हैरान है के ये तस्वीर किसकी है,
सजाया जिसने भी तुझको तो ये तकदीर उसकी है,
कभी खुश हो रहा होगा ख़ुशी से रो रहा होगा,
कन्हैया एक नज़र तुझको को देखता होगा,
फ़रिश्ते भी तुझे छुप छुप कान्हा देखते होंगे,
तेरी तस्वीर में खुद की झलक वो देखते होंगे,
हर्ष के दिल में जो गुजरी वो तू ही जानता होगा,
कन्हैया एक नज़र तुझको को देखता होगा,