श्री कृष्ण जय जय,
जय जय श्री कृष्णा,
राधा रमण हरी,
गोविन्द कृष्णा।।
मोहे लगन लागी बस,
कान्हा तेरे नाम की,
कान्हा तेरे नाम की,
श्याम घनश्याम की,
मुरली की धुन यूँ सुनाते ही रहना,
अपनी कृपा यूँ बनाये ही रखना,
मोहे लगन लागी बस,
कान्हाँ तेरे नाम की......
यमुना किनारे, गइयाँ चरावे,
गोपियन के संग में रास रचावे,
राधा रानी को पल पल रिझावे,
अधरन पे मीठी मुस्कान छावे,
मंद मंद मुस्कान पे जाऊं बलिहार के,
कान्हा तेरे नाम की,
श्याम घनश्याम की
मुरली की धुन यूँ, सुनाते ही रहना,
अपनी कृपा यूँ बनाये ही रखना,
श्री कृष्ण जय जय,
जय जय श्री कृष्णा,
राधा रमण हरी,
गोविन्द कृष्णा।
लोक लाज मेरा सब कुछ बिसरानी,
भक्ति में खो गयी प्रेम दीवनी,
जोगन हो गयी वो छोड़ राजधानी,
विष का प्याला पी गई अमृत समानी,
प्रेम ज्योत जली मन में जो घनश्याम की,
कान्हा तेरे नाम की श्याम घनश्याम की,
मुरली की धुन यूँ सुनाते ही रहना,
अपनी कृपा यूँ बनाये ही रखना,
श्री कृष्ण जय जय,
जय जय श्री कृष्णा,
राधा रमण हरी,
गोविन्द कृष्णा।
रज्ज वृन्दावा की मथुरा की पावन,
जो दर्श तेरा इक मन भावन,
कान्हा तेरी लगन में हम हो गए निहाल,
भक्ति में खो गया राज बेहाल,
निसदिन मैं गाउन महिमा तेरे गुणगान की,
कान्हा तेरे नाम की श्याम घनश्याम की,
मुरली की धुन यूँ सुनाते ही रहना,
अपनी कृपा यूँ बनाये ही रखना,
मोहे लगन लागी बस,
कान्हाँ तेरे नाम की,
कान्हा तेरे नाम की,
श्याम घनश्याम की,
मुरली की धुन यूँ सुनाते ही रहना,
अपनी कृपा यूँ बनाये ही रखना,
श्री कृष्ण जय जय,
जय जय श्री कृष्णा,
राधा रमण हरी,
गोविन्द कृष्णा.......