मैं चमकता हुआ सितारा हूँ,
तन से न्यारा मैं प्रभु का प्यारा हु,
मैं चमकता हुआ सितारा हूँ,
गगन से धरती पर उतरा,
रूप और रंग है निखरा,
तेज चहु और है दिख रा,
मैं यहाँ से न्यारा हु,
मैं चमकता हुआ सितारा हूँ
सोने जैसा मन ये मेरा और तन भी सोने सा,
देव युग का वो नजारा पावन कोना कोना था,
शिव की पहली पहली रचना,
नैनो का मैं तारा हु,
मैं चमकता हुआ सितारा हूँ
है समय का खेल ऐसा कर्मो का ये मेल कैसा,
पूजनीय बन के पुजारी राह अपनी भुला हु,
मैं चमकता हुआ सितारा हूँ