श्याम बाबा के भगत कितने बड गये,
जो ज़मीन पे थे वो आसमान पे चढ़ गये,
जिसने किया भरोसा वो तो सुखी धरा पे भी तर गये,
श्याम बाबा के भगत कितने बड गये,
देव ऐसा जो देखे ना औकात को,
देखता है ये भगतो के जज्बात को,
कुछ पता न चला वो आगे बड़ गये,
जो ज़मीन पे ये ....
कान्हा रे बिन तोरी मोरी गति न,
हाथ पकड़ा जो भक्तो का छोड़ा नहीं,
अपने प्रेमी से मुँह कभी मोड़ा नहीं,
हर तूफानों का सामना वो कर गए
जो ज़मीन पे ये ....
शीश जिनका झुका इनके दरबार में,
वो झुका ही नहीं झूठे संसार में,
शुभम रूपम भी दर पे स्वर गे
जो ज़मीन पे ये ....