जो भी मांगो मिल जाता है करता ये इंकार नहीं
श्याम के जैसा इस दुनिया में कोई लखदातार नहीं.......
घूम घूम कै दुनिया देखी धक्के खा–खा हार लिया,
जब तै आया श्याम के दर पै जीवन मेरा सवार दिया,
सेठ बड़े देखे दुनिया में कोई लखदातार नहीं,
श्याम के जैसा इस दुनिया में कोई लखदातार नहीं.......
जब जब याद करू बाबा नै त्यार खड़ा आगे पावै,
आवे घर मैं संकट कोई मोर छड़ी यो लहरावै,
इसका मेरा गाढ़ा रिश्ता झूठ–मूठ का प्यार नहीं,
श्याम के जैसा इस दुनिया में कोई लखदातार नहीं.......
मेरे घर का चूल्हा चौका बाबा श्याम चलावणिया,
भगता की हर विपदा मैं यो बाबा आड़ै आवणिया,
जिसका साथी बन जा बाबा होती उसकी हार नहीं,
श्याम के जैसा इस दुनिया में कोई लखदातार नहीं.......