गम के मरे हम दुखियारे

गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे,
घर से निकले मज़बूरी में हम मजदुर वेचारे
गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे,

पैदल ही पैदल चल कर है जाना,
दूर बहुत मंजिल है दूर ठिकाना,
घर विज्वादों हम को हम है वक़्त के मारे ,
गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे,

रोजी रोटी के बी पड़े अब लाले,
छोटे छोटे बचो को अब कौन सम्बाले,
छुटा मज़बूरी का घर रोते नैन हमारे,
गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे,

कितनो ने अपने है प्राण गवाए,
घर तक जाने का यत्न कौई न पाए,
बिछड़ गए परिवारों से नगर रो रो पुकारे,
गम के मारे हम दुखायारे सारे रे सारे रे,
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