काली काली रात में काली,
जब धरती पर आये आये,
रूप भयंकर देख के भेहरो,
काले ध्वजा लहराए आये,
काली काली रात में काली......
माँ काट रही दुष्टो का संहार कर रही है,
देखो ये काली सब का बेडा पार कर रही है,.
काली काली रात में काली........
जवाला भरी है आँख में माँ काली के पर्वेश्वर,
भरव को लिये शेर सी दहाड़ ती महेश्वारी,
काली काली रात में काली...
बिगड़ी हु तकदीर स्वर जाने लगी है,
वक़्त हो चला है देखो मैया आने लगी है,
काली काली रात में काली..........