मंदिरो में रहती हो रूप सोना सोना है,
मइया तेरी आँखों में प्यार थोड़ा थोड़ा है,
विनती करू दोनों हाथ जोड़ के,
आजा आजा मेरे घर तू पहाड़ छोड़ के,
तुझपे मैं वारु सो ज़िंदगानी,
हर पल की घड़ियाँ तेरे नाम की है,
जब मेरी आवाज तुझ तक न पहुंचे फिर मेरे ये जुबा किस काम की है,
माता और बेटी की कैसी ये कहानी है,
खुशीओ का मौका और अँखियो में पानी है,
अंसियो की लड़ियो को आज तोड़ के,
आजा तु पहाड़ छोड़ के.....
सावन के झूलो ने भेजा भुलावा अब के बरस इनकी किस्मत जगा जा,
कजरे के सुर ताल फीके है मइया बन के झंकार तू इस में समा जा,
मन के शिवाले में तेरा ही बसेरा है,
तुझसे ही रात है तुझसे ही सवेरा है,
आस से हमारा विश्वाश जोड़ के,
आजा तु पहाड़ छोड़ के
मुझको छुपाया है आंचल में अपने देखे है मैंने बहुत ऐसे सपने,
आती नहीं माँ तू जिद पे अडी है,
चरणों की धूल तेरे माथे पे सजा लुंगी आज नहीं तो कल तुझको भुला लुंगी,
चल दूंगी वर्ण जहां छोड़ के,
आजा तु पहाड़ छोड़ के