जय दुर्गा दुःख हरनेवाली
सबका मंगल करनेवाली,
क्यों डरे मन कलियुग से
जब तू निर्भय करनेवाली।
आदिशक्ति, चंडिका, भवानी
विंध्यवासिनी, जग कल्याणी,
निर्धन को धनवान बनाती
अज्ञानी हो जाते ज्ञानी।
सज्जनों की तू जीवन दाता
दुर्जनों के लिए काली माता,
भाग्यवान हैं भक्त तेरे
अभागा कहाँ तुझे भज पाता।
महिषासुर वध करनेवाली
सबकी झोली भरनेवाली,
क्यों डरे मन कलियुग से
जब तू निर्भय करनेवाली।
माँ तू करती शेर सवारी
हाथों में चक्र, गदा, कटारी,
सिर पर मुकुट, गले में माला
चरणों में ये सृष्टि सारी।
माँ तुझसे ही वर पा के
बड़े-बड़े महाराज हुए,
तेरी महिमा से पूरे
भक्तों के सब काज हुए।
शांति, सदगुण देनेवाली
भक्तों के दिलों में रहनेवाली,
क्यों डरे मन कलियुग से
जब तू निर्भय करनेवाली।
प्रेम से बोलो
जय माता दी