जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥
झाँझ-मँजीरे बाज रहे हैं, जगमग ज्योत जगी है।
भक्तों के दिल में मैया के, नाम की लगन लगी है।
इच्छा सबकी नैनों भरके, माँ का दर्शन पाना॥
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥
माता का श्रृंगार दिव्य है, देख हृदय हर्षाता।
माथे टीका, माल गले में, शीश पे मुकुट सुहाता।
नैनों में ममता का सागर, चरणों में ये जमाना॥
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥
मैया तो छू के कर देती, पत्थर को भी सोना।
संकट सारे हर लेता है, माँ का रूप सलोना।
आये कोई भी परेशानी, माँ को तुरंत बताना॥
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥
रोये जब कोई दुनिया में, माता उसे हँसाये।
भटकेगा वो कैसे जिसको, माता राह दिखाये।
निर्धन को देती धन मैया, औ' भूखों को खाना॥
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥
दानवदल को मारा माँ ने, जन के कष्ट मिटाये।
देव, यक्ष, गंधर्व भी माँ का, सुमिरन कर सुख पाये।
तीनों लोकों ने पाया है, मैया से नजराना॥
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना।
नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥