तर्ज - मीठे रस से भरयोड़ी राधा.....
विरात्रा री पहाड़ियों में धाम थारो ,
म्हाने लागे न्यारो
म्हाने प्यारो प्यारो लागे वाकल ,नाम थारो
शक्ति रूप में हिंगलाज माँ , हिरण भखार में आईं,
श्रद्धा भाव से राजा विक्रम ने , प्रतिस्ठा माँ की कराई
ऊंचे पर्वत पे बाणियो है थारो मंदिर न्यारो ,म्हाने लागे प्यारो
सबसु प्यारो सबसु न्यारो , धाम थारो विरात्रा री पहाड़ियों में
लाल चुनरियाँ , लाल है चुडो , सज सोलह सिणगार
रूप अनूप है माँ वाकल रो , बैठीया सिंह सवार
लागे स्वर्गा सु सूंदर मैया धाम थारो म्हाने लागे प्यारो।
म्हारा हिवड़ा में बसियो वाकल ,नाम थारो विरात्रा री पहाड़ियों में.....
सांचो है दरबार वाकल रो , बिन मंगिया मिल जावे
अन्न धन रो भंडार भरे , बंझिया री गोद भरावे
म्हाने आसरो है मैय्या जी बस एक थारो बस एक थारो
किरपा री नजरिया वाकल महापे डारो विरात्रा री पहाड़ियों में.....
✍️ दिलीप सिंह सिसोदिया
" दिलबर "
नागदा जक्शन