मैया भुला ले नवराते में,
नाचे गे हम सब जगराते में,
माँ की मूरत बस गई आँखों में,
नाचे गे हम सब जगराते में,
परदेसी हो पर भुला न पाउ,
माँ के दर जाना तो मैं भी चाहु,
बालक समज माँ मुझे डांट दे,
संदेसा ऑरो को ये बाँट दे,
चिठ्ठी लगी अब के हाथो में,
नाचे गे हम सब जगराते में,
चढ़ाई चढ़ते भक्त गाने लगे दर्शन के सब दीवाने लगे,
चुनड़ी मंगवाई है जयपुर से इसको चढ़ाए गे माँ के दर से,
पावन अवसर लग गया हाथो में,
नाचे गे हम सब जगराते में,
मंदिर में घुस के दिल ये कहे सिर मेरा माँ के चरनी में रहे,
ऐसी महिमा पाई न कही मन करता सुनील रह जाऊ यही,
मियां के इस नवराते में,
नाचे गे हम सब जगराते में,