वैष्णव देवी माँ शेरावाली
दुखिओं की करती है रखवाली
भोग न मांगू, मोक्ष ना मांगू,
धन दौलत कुछ भी ना जानू
तुम कहलाती हो हिमालय सुपुत्री,
ममता प्यार मांगू मतवाली
नव रूपों में, नव कल्पना में,
नव रसों में, नव ग्रहों में
सृष्टि की रचना तेरी दृष्टि से,
लालन पालन करती मेहरा वाली
काल नाशिनी, दुःख हारिणि,
शूल धारिणी, सिंह वाहिनी
भक्तों को तुझ से रहती आस है,
कृपा करोगो हे लाटा वाली