कशी घुमले मथुरा घुमले घुमले चाहे वन वन.
नर में है नारायण बंदे नर में है नारायण,
बोलो जय नारायण बोलो जय नारायण,
पहन के भगवा तिलक लगा कर बने तू संत ज्ञानी ,
हो गया मस्त मलंग पीड़ा किसी की तूने जानी,
विभूत मंडल गले में माला,
व्यर्थ है माथे पे चन्दन,
नर में है नारायण बंदे नर में है नारायण,
दिया धर्म दान करो ये किसी काम नहीं आते,
दीं दुखी निर्धन को जब तक गले से नहीं लगाते,
मेरा नारायण होता है इसी बात में परशन,
नर में है नारायण बंदे नर में है नारायण,
ईश्वर के बंदे सब को रूप उसी का मानो,
ना कोई ऊंचा न को निचा सबको इक ही मानो,
सबसे उत्तम पूजा यही है,सबसे बड़ा ये धन,
नर में है नारायण बंदे नर में है नारायण,