सांस टूटे तू न रूठे बस यही विनती करे

सांस टूटे तू न रूठे बस यही विनती करे,
दर तेरा छूटे ना बाबा और चाहत क्या करे,

प्यार के दो बुँदे मांगी तूने सागर दे दिया,
जिस के लायक ना थी बाबा तूने इतना दे दिया,
फिर भला छोटे से गम की हम शिकायत क्या करे,
दर तेरा छूटे ना बाबा और चाहत क्या करे,
सांस टूटे तू न रूठे बस यही विनती करे,

इक तू ही पूरी करता दिल की हर इक आरजू,
मेरा माझी मेरा खिवैया मेरा सब कुछ इक तू,
फिर भला कर दर पे जा के हम इबादत क्या करे,
दर तेरा छूटे ना बाबा और चाहत क्या करे,
सांस टूटे तू न रूठे बस यही विनती करे,

निकले जब ये प्राण तन से मुख पे तेरा नाम हो,
गाते गाते भजन तुम्हारे इस जीवन की शाम हो,
इस से जयदा सेवक तेरा और मंगत क्या करे,
दर तेरा छूटे ना बाबा और चाहत क्या करे,
सांस टूटे तू न रूठे बस यही विनती करे,
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