खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही,
जाते कदम क्यों ठहर ग्यारस को आना है ये जानता हु मैं,
फिर आंखे क्यों आई भर,
सँवारे अब तेरे बिन कैसे कटेंगे ये दिन,
तेरी जुदाई का गम सेह न पाएंगे हम,
खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही,
जाना चाहु जा ना पाउ कैसा तेरा प्यार रे,
ऐसा लगे छूट रहा यहाँ सब सांवरे,
आँखों से आंसू अब रुक न पाए मेरे कदम अब आगे न जाए,
तेरी जुदाई अब सेह न पाउ,
तेरे बिना अब मैं रह ना पाउ,
खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही,
जब यामा ओ सांवरे तूने मेरा हाथ रे,
हर ख़ुशी अब मेरी तेरे साथ रे,
साथ तेरा ये छूट ना जाये,
दर है कही तू रूठ न जाये,
रूठ गये जो मुझसे सांवरियां,
तेरे बिना फिर हम जी न पाए,
खाटू से निकलते ही कुछ दूर चलते ही,