मोर छड़ी और नीले में जंग छिड़ी है भारी,

मोर छड़ी और नीले में जंग छिड़ी है भारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

सांवरियां अपने हाथो से खुद मुझको लहराते है,
मेरा झाड़ा लगवाने को बड़े बड़े झुक जाते है,
मेरे आगे नीले बोलो है क्या औकात तुम्हारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

नीला बोलै मोरछड़ी से जयदा इतराते है,
मुझपे ही तो बैठ संवारा भगतो के घर जाते है,
श्याम धनि को सब से प्यारी नीले की असवारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

श्याम धनि के मोर मुकट में मेरा हर दम वास है,
शिखर ध्वजा में भी मैं ऊपर तू चरणों का दास है
सांवरिया को लगती हु मैं सब से जयदा प्यारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

नीला बोला माना के मैं श्याम चरण का दास हु,
श्याम प्रभु का सेवक हु बस इसी लिए तो खास हु
तुमसे पहले श्याम प्रेमियों में पहचान हमारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

तुम दोनों से पहले सुनलो नाम मेरा ही आता है,
खाटू आने वाला पहले श्याम कुंड में नाहता है,
तुम दोनों से मैं हु बड़ा ये जाने दुनिया सारी,
है हम तीनो में कौन बड़ा तुम बोलो ये गिरधारी,

बोले संवारा मेरे लाये तुम एक समान हो,
अपनी अपनी जगह पड़े तुम तीनो बड़े महान हो,
मैं तुमसे और तुम मुझसे यु बोले श्याम बिहारी,
कहे भीम साइन तुम पे संवारा जाऊ मैं बलहारी,
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