मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,
मैंने छोड़ा जगत तमाम इक तेरे कारण,
मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,
जब से देखा है तुम्हे छवि मन बाह गई,
सांवरी सुरतिया तेरी मन में समा गई,
मैं तो हो गई कुर्बान एक तेरे कारण,
मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,
तेरे सिवा लागे कुछ रास नहीं आता है,
महल अटारी सोना चांदी नहीं बाहता है,
मैंने छोड़े सुख है तमाम इक तेरा कारण,
मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,
गली गली ढूंडू तुम्हे पल पल पुकारू मैं,
सुध बिसराई सब में तुम्हे ही निहारु मैं,.
कर प्रीत हुई बदनाम इक तेरे कारन,
मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,
अपना बना ले मोहन देर क्यों लगाई रे,
चरणों की दासी को तू काहे तरसाई रे,
कही हो न जाए शाम एक तेरे कारण,
मैं तो जोगन बन गई श्याम इक तेरे कारण,