बड़ी मुसीबत है इस जग में कैसी ये हाहाकार,
शरण में रखलो लखदातार,
कैसे बताऊ हाल मैं तुझको,
कुछ भी समज न आये मुझको,
तुम ही अगर हो दाता जगत के खुद ही समज हालत,
शरण में रखलो लखदातार,
आंसू भी मेरे सुख गये है,
सपने सारे टूट गये है,
अपनी शरण का दास बना कर,
करदो उपकार,
शरण में रखलो लखदातार...
सुन ले पुकार कन्हियाँ मेरी,
दाव पे है अब इज्जत मेरी,
मेरा नहीं है खोने को कुछ भी जाए गी तेरी लाज,
शरण में रखलो लखदातार,