जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए

गुर जी तेरे चरणों में हर स्वास गुजर जाये,
जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए,
गुर जी तेरे चरणों में हर स्वास गुजर जाये,

दुनिया से जिसे था अपना समजा वो न बन पाया,
जब दिल में तमना थी मुरशद ने ये समझाया,
दुनिया एक सपना  है जो सुबह बिखर जाए,
जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए,
गुर जी तेरे चरणों में हर स्वास गुजर जाये,

तुझे चाहने वाले को चाहत ना रहे कोई,
तुझे भुलाने वाले को राहत न रहे कोई,
तुझे पाके भुला दे जो इंसान वो किधर जाए,
जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए,

मुझे तेरा सहारा है मैं और किधर जाऊ,
तू है तो रविंदर भी है बिन तेरे मैं मर जाऊ,
क्या बोले शरीरो का गर आत्मा मर जाए,
जिस स्वास तुझे भूलू वो स्वसे ठहर जाए,
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