हे साई नाथ तुम्हरो हमने कैसे रूप रचो पत्थर में,
जाको जैसो मन को भावे वैसे रूप रचो भगवन ने,
साई भक्तन की भगति एक ही साई रूप हज़ारो कही तो कही गणपति,
साई भगतन की भगती,
कोई लम्बी नाक बनावे,कोई बड़े कान लगावे,
जाको जैसो मन को भावे वैसे बनावे मूरति,
साई भक्तन की भगति....
शिरडी तीर्थ जो भी आवे मन वंचित फल पावे,
जाको जैसो मन को भावे वैसे ुतार्रे आरती,
साई भगतन की भगति......