सब छोड़ के जमाना आया हु तेरे द्वारे,
नैया भवर में मेरी तू डुबो या लगा किनारे,
सब छोड़ कर दर पे आये है हम,
नदियाँ बड़ी है गहरी पतवार भी है टूटे,
संग साथ जो चले थे प्राहो में सारे छुटे
तुम इक अब भरोसा थामे चरण तुम्हारे,
नैया भवर में मेरी तू डुबो या लगा किनारे,
सब छोड़ कर दर पे आये है हम,
उम्मीद की ये ज्योति मेरे साईं भुज न जाए,
चोकठ पे तेरी आके बेठा हु सिर जुका के,
तेरी बंदगी में मैने दिन रात है गुजारे
नैया भवर में मेरी तू डुबो या लगा किनारे,
सब छोड़ कर दर पे आये है हम,
मेरी दिल की धडकने भी बस गीत तेरे गाये,
दर छोड़ के तुम्हारा तू बता कहा पे जाये,
मेरी जिन्दगी है केवल अब तो तेरे सहारे,
नैया भवर में मेरी तू डुबो या लगा किनारे,
सब छोड़ कर दर पे आये है हम,