आज अपनी संगत में

आज अपनी संगत में बाबा का होना लाजमी है,
ये दीवानो की महफ़िल है दीदार का होना लाजमी है,
आज अपनी संगत में बाबा का होना लाजमी है,

ज़माने के हर एक इंसान पे नजरे यमाता हु,
ना जाने कौन से इंसान में दीदार हो जाये,
कर्म इतना तो मुझ पर है साई सरकार हो जाये,
निगाहे ढूंढ़ती रह जाये और दीदार हो जाये,
हम साई साई बोले गे दिद्दार का होना लाज मी है,
आज अपनी संगत में बाबा का होना लाजमी है,

मेरी तकदीर में लिखा था मैंने तुझको पाया है,
खुदा भी है मेरा और पीर का भी मुझपे साया है,
खुशा किस्मत के उमीदे कर्म इस दर पे लाया है,
तुम्हारी याद ने मुझको मेरे रब से मिलाया,
हम साई साई बोले गे दीदार का होना लाजमी है,
आज अपनी संगत में बाबा का होना लाजमी है,

हज़ारो ख्वाइशे ऐसी के हर खवाइश पे दम निकले,
उदर से तू नजर आये इधर से और हम निकले,
तुम्हारे दर पे हमसर भी भिखारी बन के आया है,
सभी ने मुझको ठुकराया मेरे साई ने निभाया है,

ये दीवानो की महफ़िल है दीदार का होना लाजमी है,
आज अपनी संगत में बाबा का होना लाजमी है,
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