ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ

ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ, मुझको दर्शन दे देना ॥
दर्शन दे देना, मात मुझे दर्शन दे देना ॥
ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ...

मैं नाचीज़ हूँ बन्दा तेरा, तूँ सब की माता है ॥ (मईया)
तेरे हाथ मैं सारी दुनियाँ, मेरे हाथ मैं क्या है ॥
तुझको देखूँ, जिसमे ऐसा, दर्पण दे देना ॥
ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ...

मेरे अन्दर तेरी ज्योति, रिश्ता है सदियों का ॥ (मईया)
जैसे इक नाता होता है, सागर से नदियों का ॥
करूँ साधना, तेरी ऐसा, साधन दे देना ॥
ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ...

हम सब हैं भक्तन माँ तेरे, तूँ है मात हमारी ॥ (मईया)
एक ही बिनती सुन लो मईया, हम सब शरण तुम्हारी ॥
तेरे दर पे, आते रहें हम, शक्ति दे देना ॥
ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ...

एक प्रार्थना तुमसे मईया, मन में आते रहना ॥ (मईया)
हर इक साँस में मईया अपनी, झलक दिखते रहना ॥
अंत समय जब, प्राण तजूं तब, दर्शन दे देना ॥
ऑंखें बंद करूँ या खोलूँ...
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल
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