हे शिवशंकर भक्ति की ज्योति अब तो जला दो मन में

है शिव शंकर भक्ति की ज्योति
अब तो जला दो मन में।
राग द्वेष से कलुषित ये मन।
उज्ज्वल हो पल छिन में।।

तेरी डमरू से निकले है
ओमकार  स्वर प्रतिपल ।
मै रम जाऊँ तुझमे भगवन
तूँ रम जा नैनन में।।
है शिव..........

भस्म रमाये तन पे तूँ क्यों
इसका राज बतादो।
बीत गये  कुछ अब न बीते
बाकी क्षण बातन में।।
है शिव..........

किसका ध्यान धरे कैलाशी
इसका ज्ञान अमर दो ।
तूँ है  या फिर ध्यान धरे जो
वो बैठा कण कण में।।
है शिव........
गीतकार-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
8839262340

श्रेणी
download bhajan lyrics (610 downloads)