तर्ज – ओ लाल मेरी पत
द्वार दया का खोल,
जरा खाटू वाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
खोल जरा,खोल जरा....
तीन बाण तरकश में निशानी,
लखदातार शीश के दानी,
मोरछड़ी की महिमा निराली खाटूवाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
खोल जरा,खोल जरा....
नाँव भंवर में दूर किनारा,
कोई ना सुनता सबको पुकारा,
दे दो सहारा बाबा आन बनो रखवाले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
खोल जरा,खोल जरा....
पागल मन और अँखियाँ प्यासी,
अर्जी लगाए ‘किशन ब्रजवासी’,
जैसे भी है बाबा दास तेरे अपना ले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।
खोल जरा,खोल जरा....
बिना कहे तू मन की जाने,
फिर भी आए बाबा तुझको सुनाने,
जैसे भी है बाबा दास तेरे अपना ले,
लखदातार, पालनहार,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे,
श्याम हारे के सहारे,
तेरे बिन किसे पुकारे।।