हद कर दी हर कर दी,
तूने इतना दिया की हद कर दी ,
मैंने इतना लिया की हद कर दी,
आज अब इक और तमना है,
तेरा सन्मुख दर्शन करना है,
अप्रम पार हुआ पाया तेरा पार नही कभी भी सवाली को किया इनकार नही,
छूके तूने मिटी को सोना कर डाला अधना भिखारी को रत्नों में भर डाला,
मैंने इतना पुकारा के हद कर दी,
तूने इसा मुझे तारा के हद कर दी,
दया करी श्रष्टि में तूने जब देखा माँ,
पल में बदल गई भाग की रेखा माँ,
अध्यारे जीवन में तेरी जब ज्योत जगी,
कुटियाँ महल बनी जरा भी न देर लगी,
मैंने मांग मांग के हद कर दी,
तूने बाँट बाँट के हद कर दी,