जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे

जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे
होनी अनहोनी कब  क्या घाट जाए रे
जीवन है पानी की बूँद ................

साथ निभाएगा बीटा सोच रहा लेटा लेटा
हाय बुढ़ापा आएगा पास ना आएगा बेटा
बागो में तू क्यों आनंद मनाये रे
जीवन है पानी की बूँद .................

अर्थ मृतक संग वृद्धापन झुकी कमा सिकुड़न सिकुड़न
गोदी में पोता पोती खोज रहा बचपन यौवन
बीते जीवन के क्यों गीत सुनाये रे
जीवन है पानी की बूँद .................

हाथों में लकड़ी थामी चाल हो गयी मस्तानी
याम के घर खुद जाने की जैसे मन में हो ठानी
बैठा वो सोचे क्यों कर कब मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद .................

जीवन बीता आघात में पुण्य पाप की करवट में
चढ़ कर अर्थी पर जाए अंत समय भी मरघट में
तेरा ही बेटा तेरा कफ़न सजाये रे
जीवन है पानी की बूँद .................

सर पर जिसे बिठाया है गोदी में भी खिलाया है
लाड प्यार में पाला है सुख की नींद सुलाया है
तेरा ही बेटा तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूँद .................

जिसके लिए कमाता है जीवन साथी बताता है
जिसकी चिंता कर करके अपना चैन गंवाता है
देहरी से बहार वो साथ ना जाए रे
जीवन है पानी की बूँद .................

चारपाई पर लेटा है पास न बेटी बेटा है
चिल्लाता है पानी को कोई ना पानी देता है
भूखा प्यासा है इक दिन मर जाए रे
जीवन है पानी की बूँद .................
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