श्याम धनी आने में, जो देर लगाओगे,
इतना समझलो हारे हुए को और हराओगे ॥
लिखा तेरे मंदिर पे, "हारे का सहारा",
इसी नाम से है बाजे, डंका तुम्हारा,
क्या अपने नाम पे बाबा, तुम दाग लगाओगे ॥
खिंच करके नैया तेरी, चौखट पे लाया,
मांझी बनाकर तुमको, नाव में बिठाया,
तुम जिस नैया में बैठे, क्या उसे डुबाओगे ॥
नैया भवर में जिसकी, तुम्हे ढूंढ़ता है,
तेरी गली का, पता पूछता है,
क्या अपनी गली का रास्ता, तुम बंद करवाओगे ॥
ये ना समझना खाली हारे हुए है,
'बनवारी" जबसे हारे, तुम्हारे हुए है,
मेरी लाज नहीं ये, तुम खुद की गवाओगे ॥