आगी शेरसवारी कंजका खेड़ दियां,
लगदी रात प्यारी कंजका खेड़ दियां,
सोना शेर सजाया माँ ने माथे तिलक लगाया माँ ने,
हथ तिरशूल सज्या माँ ने गेहनेया नल शृंगारी,
कंजका खेड़ दियां....
सुहा झोला पाया माँ ने वखरा रंग चढ़ाया माँ ने,
पौने न महकाया माँ ने देखे संगत सारी,
कंजका खेड़ दियां....
पिंड लडाल च आके माँ ने तोतक नवे रचा ते माँ ने,
चहल दे भाग जगा ते माँ ने आ गई अर्ध कवारी,
कंजका खेड़ दियां.........