जो बैठे चरणों में तिहारे

जो बैठे चरणों में तिहारे उसे वाणी का वरदान मिले,
माँ तू जिसकी और निहारे उस गुनियो में अस्थान मिले,
जो बैठे चरणों में तिहारे उसे वाणी का वरदान मिले,

वर दे वीणा वादनी वर दे,
स्वर शब्दों से अन्तस वर दे,
तेरी वीणा जब यंकारे साधक को नव प्राण मिले,
जो बैठे चरणों में तिहारे उसे वाणी का वरदान मिले,

शब्द कहाये ब्रह्म सा हो दर,
कुछ भी नहीं संगीत से बढ़ कर,
स्वर सादक जब स्वर से पुकारे उसे सहज स्वयं भगवान मिले,
जो बैठे चरणों में तिहारे उसे वाणी का वरदान मिले,

कंठ समर्पित गान समर्पित हिर्दय समर्पित प्राण समर्पित,
अर्पित श्रदा भाव हमारे हम सांचे स्वर का ज्ञान मिले,
जो बैठे चरणों में तिहारे उसे वाणी का वरदान मिले,
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