नव बसंत उत्सव पर तुमको याद करता हूँ,
माता शारदे चरणों में प्रणाम करता हूँ,
हो स्वरों की देवी भी संगीत का आकाश तुम,
सरस्वती के नाम से हो ज्ञान का प्रकाश तुम ,
वीणा जिसके हाथ में है वेदों का आधार तुम,
भावों के सुमनों से अभिराम करता हूँ ,
ऐसी वीणावादिनी को मैं प्रणाम करता हूँ,
माता शारदे चरणों में प्रणाम करता हूँ ,
माता के चरणों में तन-मन सब अर्पित है,
और आपको ही ये जीवन समर्पित है ,
माँ की ममता सब जगह व्यापक और वर्णित है,
ऐसी माँ की ममता को मैं प्रणाम करता हूँ,
माता शारदे को सादर प्रणाम करता हूँ ,
करुणामय आनन पर तेजस्वी भाल है ,
जैसे ज्ञान का सूरज निकल रहा लाल है,
चरण रज से होता माँ 'अभय' का कल्याण है,
ऐसी माँ कल्याणी का गुणगान करता हूँ ,
ऐसी जगत जननी का सदा ध्यान करता हूँ ,
माता शारदे चरणों में प्रणाम करता हूँ ,
रचयिता-- *अक्षय बोहरा "अभय"*